हमारे फोन से लेकर कंप्यूटर तक, कार से लेकर मेडिकल devices तक... सब में चिप लगी होती है. इस चिप को सेमीकंडक्टर भी कहा जाता है और अब मार्केट में इन छोटी छोटी चिप की सप्लाई में भारी कमी आ गई है. सेमीकंडक्टर चिप की किल्लत के चलते इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज और व्हीकल बनाने वालों के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है. उनके लिए अपने प्रोडक्शन शेड्यूल को पूरा कर पाना मुश्किल हो रहा है.
क्यों हुई चिप की कमी ?
कोरोना महामारी के दौरान devices की demand काफी तेजी से बढ़ी. लोग घर से काम कर रहे थे और पहले से कहीं ज्यादा टैबलेट, फोन और बाकी डिवाइसेज का इस्तेमाल कर रहे थे जिससे चिप की डिमांड काफी बढ़ गई.
वहीं auto industry की कई कंपनियों ने कोरोना के दौरान कम डिमांड के चलते चिप्स के अपने ऑर्डर कैंसल कर दिए. जिसके चलते चिप बनाने वाली कंपनीज ने कार के लिए चिप बनाना बंद कर दिया और अब जब ऑटो सेक्टर में तेजी से डिमांड बढ़ रही है तो मार्केट में चिप ही नहीं है.
देश दुनिया की फ्लाइट्स पर भी कोविड का असर पड़ा है जिससे ट्रांस्पोर्टेशन काफी प्रभावित हुआ. इन्हीं सब वजहों से आज पूरी इलेक्ट्रॉनिक और ऑटोमोबाइल मार्केट चिप की कमी से जूझ रहा है.
इस चिप की कमी की एक वजह चीन के साथ ताइवान के तनावपूर्ण संबंध भी है. ताइवान दुनिया का leading chip producer है. चीन और ताइवान के बीच युद्ध की संभावना के चलते प्रोडक्शन पर काफी असर पड़ा है. चीन ताइवान पर कब्जा कर अपनी चिप इंडस्ट्री बनाने को बेताब है.
क्या असर होगा ?
Experts के मुताबिक चिप शोर्टेज से कई सेमीकंडक्टर वाले डिवासेज की कीमतें निश्चित रूप से ज्यादा होने की संभावना है. ऐप्पल ने हाल ही में घोषणा की कि चिप की कमी से आईफोन उत्पादन में देरी होने की उम्मीद है और यह पहले से ही आईपैड और मैक की बिक्री पर असर डाल रहा है. चिप शॉर्टेज की वजह से नई गाड़ियां भी काफी महंगी हो रही हैं. कंपनियों ने अपनी गाड़ियों से फीचर्स कम करने शुरू कर दिए हैं. साथ ही भारत सहित पूरे विश्व में क्रिटिकल मेडिकल डिवासेज का उत्पादन भीप्रभावित हो रहा है. जिससे कई मेडिकल टेस्ट महंगे होने की आशंका है.
कब खत्म होगी ये समस्या ?
Production को short notice पर आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है, इसलिए चिप निर्माताओं को मांग को पूरा करने में लंबा समय लगता है. इंटेल के CEO Pat गेल्सिंगर Gelsinger ने कहा है कि दुनिया में चिप की कमी साल 2023 से पहले खत्म नहीं होने वाली है. उनके इस बयान का सीधा मतलब है कि कंपनियों को अभी लंबा संघर्ष करना होगा.