हाल ही में खबर आई कि उत्तर कोरिया ने दावा किया है कि उसने सुप्रीम लीडर किम जोंग-उन की निगरानी में एक और हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है. ये उसका तीसरा मिसाइल परीक्षण है. इसी के साथ बीते साल नवंबर में चीन के आसमान में बेहद तेज़ गति से रॉकेट जैसी कोई चीज़ उड़ती दिखाई दी, जिसे जानकारों ने नए तरह का हाइपरसोनिक मिसाइल कहा. हालांकि चीन ने इससे इनकार किया है. बता दें कि आवाज़ की गति से कई गुना तेज़ चलने वाली मिसाइलें अमेरिका, चीन और रूस के बीच हथियारों की रेस का कारण बन चुकी हैं. जिसमें अब उत्तर कोरिया भी शामिल हो गया है. तो आज के know this video में हम आपको बताएंगे कि हाइपरसोनिक मिसाइल क्या होती हैं साथ ही बताएंगे कि ये दूसरी मिसाइलों से कितनी ताकतवर होती हैं बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिये हमारे साथ..
मिसाइल एक गाड़ी की तरह होती है, जो पेलोड यानी परमाणु या दूसरे हथियारों को ढोने का काम करती है. स्पीड के बेसेस पर मिसाइलें तीन तरह की होती हैं- सबसोनिक, सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक मिसाइल.
हाइपरसोनिक मिसाइलों के भी दो प्रकार हैं- हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल और हाइपरसोनिक ग्लाइड वीइकल. हाइपरसोनिक क्रूज सामान्य क्रूज मिसाइल की तरह होती है, लेकिन इसमें लगे हाइस्पीड जेट इंजन इसे मैक-5 (ध्वनि की गति से पांच गुना) या उससे अधिक रफ्तार देती है.
कैसे काम करती है हाइपरसोनिक मिसाइल?
हाइपरसोनिक मिसाइल की स्पीड इंटरकॉन्टिनेन्टल मिसाइल से कम होती है. इनकी एक खूबी इन्हें खतरनाक बना देती है, दरअसल, हाइपरसोनिक मिसाइलें बीच रास्ते में दिशा बदल सकती हैं. इसकी वजह से ये डिफेंस सिस्टम यानी रडार को चकमा दे सकती हैं, बहुत कम ऊंचाई पर उड़ने की ताकत इन्हें दुश्मन के राडार की पकड़ में भी नहीं आने देती..
बैलिस्टिक मिसाइल से कैसे अलग?
हाइपरसोनिक मिसाइल को एक लॉन्च व्हीकल अंतरिक्ष में लेकर जाता है. इसके बाद मिसाइल इतनी तेजी से आगे बढ़ती है कि एंटी मिसाइल सिस्टम इसे ट्रैक नहीं कर पाते. वैसे तो बैलिस्टिक मिसाइल भी हाइपरसोनिक गति से चलती हैं, लेकिन जब उन्हें एक जगह से लॉन्च किया जाता है तो पता चल जाता है कि वो कहां गिरेंगी. इसके चलते एंटी मिसाइल सिस्टम इन्हें आसानी से ट्रैक कर सकते हैं, क्योंकि लॉन्च करने के बाद इनकी दिशा को नहीं बदला जा सकता.
दूसरी तरफ हाइपरसोनिक मिसाइल की लॉन्चिंग के बाद भी उसकी दिशा बदली जा सकती है. इन वजहों से ही ये एंटी मिसाइल सिस्टम के पकड़ में नहीं आती हैं. यानी, कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि अगर कोई देश हाइपरसोनिक मिसाइल लॉन्च करता है तो उसे रोकना बेहद मुश्किल होगा.
किन देशों के पास हाइपरसोनिक मिसाइल?
माना ये जाता है कि अमेरिका और रूस के पास इस तरह की मिसाइलें पहले से मौजूद हैं. भारत, फ्रांस और जर्मनी भी इस तकनीक पर काम कर रहे हैं.अब नॉर्थ कोरिया भी इस पर तेजी से काम कर रहा है और उसे पीछे से चीन की मदद मिल रही है.
हाइपरसोनिक मिसाइल चिंता का सबब क्यों?
जिस तरह से ये मिसाइल दूसरी मिसाइलों के मुक़ाबले अपनी चाल नियंत्रित करने और रास्ता बदलने में सक्षम हैं. पारंपरिक क्रूज़ मिसाइल के मुक़ाबले ये बेहद तेज़ गति से चलती हैं. कई लोगों का मानना है कि ये दुश्मन की नज़र से छिप सकती हैं और बड़ा ख़तरा बन सकती हैं.चूंकि चीन और अमेरिका के बीच तनाव पहले ही इतना ज्यादा है साथ ही ये मिसाइलें तनाव को और गहरा कर रही हैं.
लेकिन ये सब आखिरी नहीं, मलतब कि ना तो ये तकनीक आख़िरी हो सकती है और ना ही देशों की एक दूसरे से आगे निकलने की रेस कभी खत्म हो सकती है.. ऐसे में ये जरूरी है कि दुनिया की बड़ी ताकतें ऐसे हालात और स्थिति से बचने की कोशिश करें जहां पर किसी भी प्रकार के संघर्ष की आशंका हो..