रूस ने यूक्रेन की सीमा के पास 1 लाख से अधिक सैनिकों को तैनात किया हुआ है, जिससे इस क्षेत्र में युद्ध की आशंका तेज हो गई है. रूस लगातार इस बात से इनकार कर रहा है कि वो हमले की योजना बना रहा है, लेकिन अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों का मानना है कि रूस युद्ध की तैयारी कर रहा है. बता दें यूक्रेन में रूस के हमले की आशंकाओं के बीच NATO की सेनाएं भी तैयार हैं. आज नो दिस के इस वीडियो में हम आपको Russia और Ukraine के Conflict के बीच चर्चा में आए NATO के बारे में सब कुछ बताएंगे. NATO क्या है... ये कैसे काम करता है और यूक्रेन रूस विवाद में NATO का क्या रोल है. इन सभी सवालों के जवाब के लिए वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
NATO यानि North Atlantic Treaty Organization एक सैन्य गठबन्धन है. इसका गठन 4 अप्रैल 1949 में अमेरिका, कनाडा और कई पश्चिमी देशों ने मिलकर किया था. फिलहाल NATO में कुल 30 देश हैं. इस संगठन ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था बनाई है जिसके तहत सदस्य देश बाहरी हमले की स्थिति में सहयोग करने के लिए सहमत होंगे. NATO का गठन अमेरिका, कनाडा, 27 यूरोपीय देश और एक यूरेशियाई देश ने मिलकर सोवियत संघ के खिलाफ मज़बूत मोर्चा तैयार करने की नीयत से किया था. इसका मुख्यालय बेल्ज़ियम के ब्रसेल्स शहर में है.
वर्ल्ड वॉर 2 के बाद सोवियत संघ ने पूर्वी यूरोप से अपनी सेना हटाने से मना कर दिया और वहां communist शासन की स्थापना करने की कोशिश की. युद्ध से बेहाल यूरोपीय देशों के लिए ये भी जरूरी था कि वो अपनी सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करें. उन्हें खुद को सोवियत संघ से सुरक्षित करना था, जिसकी शक्ति लगातार बढ़ रही थी. उस वक्त अमेरिका ने anti communist नारा दिया और यूरोपीय देशों की मदद के लिए आगे आया. ऐसे में यूरोपीय देश एक ऐसे संगठन के निर्माण के लिए तैयार हुए जो उनकी सुरक्षा करे.
वहीं दूसरी ओर ग्रीस और टर्की में चल रहे सिविल वॉर के चलते अमेरिका ने दोनों देशों को आर्थिक और सामरिक मदद मुहैया करने की बात कही. अमेरिका ने घोषणा की कि जिस भी अन्य देश को मदद की ज़रूरत होगी, वह उपलब्ध रहेगा. इसके अलावा यूरोपिय देश अपनी इकॉनोमी सुधारने में लगे हुए थे. उनके आर्थिक पुननिर्माण के लिए अमेरिका एक बहुत बड़ी आशा थी... ऐसे में अमेरिका द्वारा नाटो की स्थापना कर उन्होंने समर्थन किया और इस तरह NATO की शुरूआत हुई.
खबर है कि नाटो सदस्य देशों ने यूक्रेन को अत्याधुनिक हथियारों की सप्लाई शुरू कर दी है. नाटो ने बयान जारी कर कहा है कि उसने पूर्वी यूरोप में बढ़ते तनाव को देखते हुए सहयोगी देशों की सेनाओं को अलर्ट पर रखा है. नाटो ने चेतावनी दी है कि अगर रूस ने यूक्रेन की सीमा पर सैन्य तनाव जारी रखा तो उसकी घेराबंदी को और मजबूत किया जाएगा. इस मामले में नाटो की उपस्थिति साफ करती है कि एक सहयोगी पर हमले को पूरे गठबंधन पर हमला माना जाएगा. वहीं रूस की मांग है कि नाटो का विस्तार रोका जाए और क्षेत्र से ऐसे हथियारों को हटाया जाए जिससे रूस को खतरा हो सकता है. बता दें फिलहाल अमेरिका ने यूक्रेन को नाटो से अलग करने की रूस की मांग को खारिज कर दिया है. देखना होगा कि इस लड़ाई में नाटो के सहयोग से यूक्रेन रूस को मात दे पाता है या नहीं.