9 मार्च को पाकिस्तान के शहर चन्नू मियां पर 124 किलोमीटर अंदर एक मिसाइल गिरी, जिस पर भारत ने कहा था कि वो गलती से फायर हो गई और पड़ोसी देश में जा गिरी। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि ये भारत की सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस थी. पाकिस्तान में गिरी भारत की ब्रह्मोस मिसाइल की घटना के बाद भारत का ये डर स्वाभाविक है कि कहीं पाकिस्तान रिवर्स इंजीनियरिंग कर ब्रह्मोस जैसी मिसाइल न बना ले. हालांकि पाकिस्तान ये अकेले नहीं कर पायेगा इसके लिए उसे अपने दोस्त चीन की मदद लेनी पड़ेगी क्योंकि चीन के एक्सपर्ट रिवर्स इंजीनियरिंग में माहिर हैं इसलिए ये खतरा बहुत ज्यादा बढ़ गया है.
तो आज के know this वीडियो में हम आपको बताएंगे कि रिवर्स इंजीनियरिंग क्या होती है? साथ ही बताएंगे कि पाकिस्तान कैसे इसके जरिए ब्रह्मोस की नकल कर सकता है? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ..
रिवर्स इंजीनियरिंग वो तरीका है जिससे किसी मशीन या मिसाइल के हिस्सों को अलग करके उसके ढांचे को समझकर वैसा ही प्रोडक्ट बनाया जाता है.रिवर्स यानी पीछे जाना. इसका मतलब ये समझना कि कोई मशीन या हथियार कैसे बना था.? वैसे तो एक्सपर्ट्स इसका यूज़ किसी मशीन के बारे में जानकारी हासिल करने और अपनी नॉलेज को बढ़ाने के लिए करते हैं लेकिन अभी की बात करें तो रिवर्स इंजीनियरिंग का इस्तेमाल किसी टेक्नोलॉजी या उसकी नकल करने में ज्यादा हो रहा है.
कहा जाता है कि रिवर्स इंजीनियरिंग की मदद से पाकिस्तान ने क्रूज मिसाइल बाबर का निर्माण किया था. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने ये दावा किया था. 11 अगस्त 2005 को पाकिस्तान ने अपनी पहली क्रूज मिसाइल बाबर का सफल परीक्षण किया। उस दौरान पाकिस्तान समेत चुनिंदा देशों के पास ही क्रूज मिसाइल की टेक्नोलॉजी थी. चीन ने भी रिवर्स इंजीनियरिंग की मदद से अमेरिकी के सिकोरस्की यूएच-60 ब्लैक हॉक जैसा अपना हेलिकॉप्टर हार्बिन Z-20 बनाया था. इसके साथ ही चीन ने कई और हथियारों को बनाने के लिए रिवर्स इंजीनियरिंग की मदद ली है.माना जाता है कि चीन के एक्सपर्ट रिवर्स इंजीनियरिंग में माहिर होते हैं..
अब सवाल ये कि क्या पाकिस्तान ब्रह्मोस की नकल कर सकता है?
फिलहाल तो सुपरसॉनिक या हाइपरसॉनिक टेक्नोलॉजी पाकिस्तान के पास नहीं है. वहीं डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि रिवर्स इंजीनियरिंग के लिए टेक्नोलॉजी और इन्फ्रास्ट्रक्चर बेहद जरूरी है. पाक के पास ये दोनों नहीं हैं. ऐसे में रिवर्स इंजीनियरिंग की मदद से ब्रह्मोस जैसी मिसाइल बना पाना उसके लिए बहुत ज्यादा मुश्किल है. दूसरा कारण ये है कि पाक ब्रह्मोस की नकल नहीं कर सकता क्योंकि जो मिसाइल पाकिस्तान में गिरी थी वो काफी हद तक नष्ट हो गई होगी, ऐसे में रिवर्स इंजीनियरिंग काफी मुश्किल है.. हालांकि इस बात से भी इंकार नहीं कर सकते कि रिवर्स इंजीनियरिंग के एक्सपर्ट्स देश चीन की हेल्प से पाक ऐसा कर सकता है.
आखिर में आपको ब्रह्मोस की खासियतों के बारे में बताते हैं..
ब्रह्मोस 21वीं सदी की सबसे घातक मिसाइलों में से एक है, ये मिसाइल कुछ सौ किलोमीटर से लेकर 4,000 किलोमीटर तक की रेंज में आती है. छिपे हुए निशानों को तबाह करने के लिए इसे सबसे भरोसेमंद समझा जाता है. ब्रह्मोस को भारत और रूस ने मिलकर बनाया है. यह सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है. इसके अलावा भारत हाइपरसॉनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस-2 बनाने पर काम कर रहा है. ब्रह्मोस-2 2024 तक तैयार हो सकती है. इसकी क्षमता एक हजार किलोमीटर तक हो सकती है.