श्रीलंका 70 सालोंं में सबसे खराब आर्थिक हालात से गुजर रहा है. देश का विदेशी मुद्रा का भंडार करीब खाली हो चुका है. देश में बाहर से तेल और जरूरी सामान मंगाने के लिए धन नहीं है. श्नीलंका के रिजर्व बैंक ने सभी विदेशी कर्जों की अदायगी अस्थायी तौर पर बंद करने की घोषणा की है. मतलब साफ है कि श्रीलंका अब आर्थिक तौर पर दीवालिया होने की ओर है तो आज के know this वीडियो में हम आपको बताएंगे कि मुल्क का दिवालिया होना क्या होता है साथ ही बताएंगे कि इस स्थिति का उस देश पर असर क्या पड़ता है.? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
सबसे पहले आपको बताते हैं कि कौन से देश ऐसी हालत में आए और फिर इससे उबरे, लातिन अमेरिकी देश अर्जेंटीना साल 2000 से 2020 के बीच दो बार डिफ़ॉल्टर हो चुका है. 2012 में ग्रीस डिफ़ॉल्टर बना. 1998 में रूस, 2003 में उरुग्वे, 2005 में डोमिनिकन रिपब्लिक और 2001 में इक्वेडोर.अब श्रीलंका को लेकर यही आशंका है और पाकिस्तान पर से भी संकट के ये बादल छँटे नहीं हैं.
अब सवाल ये है कि आखिर एक देश दिवालिया होता कब है?एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, किसी देश को दिवालिया घोषित करना किसी कंपनी के दिवालिया घोषित करने की तरह नहीं है. किसी भी देश को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया एकदम अलग है. वैसे तो जब कोई अपने देनदारों को कर्ज का पैसा नहीं चुका पाता है तो उसे दिवालिया कहा जाता है, किसी देश की भी ऐसा होने पर ही दिवालिया घोषित किया जाता है, लेकिन इस प्रक्रिया किसी भी कंपनी और व्यक्ति के दिवालिया होने से काफी अलग है.
कहा जाता है कि किसी भी देश को दिवालिया घोषित करने के लिए एक कानूनी प्रक्रिया होता है, जिसे एक कर्जदार शुरू करता है. हालांकि, पाकिस्तान की स्थिति में बताया जा रहा है कि अभी तक किसी भी कर्जदार ने ऐसा प्रक्रिया शुरू नहीं की है. इसके अलावा दिवालियापन घोषित करने की एक लंबी प्रक्रिया होती है. बता दें कि किसी देश को दिवालिया घोषित करने में एक साथ कई आर्थिक ताकतें काम करती हैं, जिसमें उस देश की मौद्रिक नीति अहम भूमिका निभाती है. जब कोई देश कर्ज चुका नहीं पाता है तो नीतियों में बदलाव करता है. इसके अलावा बॉन्ड की कीमत में बदलाव करने जैसे कदम भी उठाए जाते हैं. इसके बाद भी अगर अर्थव्यवस्था पटरी पर नहीं आती है और सभी कोशिशों के बाद कर्ज बढ़ता जाता है और देश उसे चुकाने में असमर्थ होता है तो वो खुद को दिवालिया घोषित करने की प्रक्रिया शुरू कर देता है.
बता दें कि साल 2001 में अर्जेंटीना ने ऐसा किया था और कर्ज इतना था कि दंगाई सड़कों पर घूम रहे थे. अर्जेंटीना की आर्थिक समस्याएं काफी पहले शुरू हो चुकी थीं और वहां देश ने अपनी करेंसी की वैल्यू नहीं घटाई और पैसे छापने का काम जारी रखा. इसके बाद अर्जेंटीना ने अपने क़र्ज़ों की अदायगी न करने की घोषणा की जिससे अर्जेंटीना को नया क़र्ज़ देने से इनकार कर दिया गया और उसकी अर्थव्यवस्था ढह गई.