केंद्र सरकार ने दशकों पुरानी रक्षा भर्ती प्रक्रिया में बड़े बदलाव करते हुए आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में सैनिकों की भर्ती के लिए 'अग्निपथ' योजना लॉन्च की है। इसे 'टूर ऑफ ड्यूटी' की तर्ज पर लागू किया जाना है। योजना का ऐलान होते ही देशभर में विरोध-प्रदर्शन जारी हैं। प्रदर्शनकारी हिंसा, आगजनी और अराजकता फैला रहे हैं। ऐसे में आपके के जेहन में एक सवाल जरूर उठ रहा होगा कि। क्या भारत ही दुनिया में अकेला ऐसा देश है जो सेना में बदलाव करने जा रहा है। अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो ये गलत होगा, क्योंकि दुनिया के करीब 30 देशों में ‘टूर ऑफ ड्यूटी' व्यवस्था लागू है।आइये अब हम आपको बताते हैं कि 'टूर ऑफ ड्यूटी' क्या होती है और किन देशों में युवाओं को मिलिट्री सर्विस देना जरूरी है।
‘टूर ऑफ ड्यूटी’ की शुरूआत ब्रिटेन ने सेकंड वर्ल्ड वॉर के दौरान की थी। उस वक्त पायलटों की कमी पूरा करने के लिए ब्रिटिश गवर्नमेंट ने हर पायलट को 2 साल में कम से कम 200 घंटे विमान उड़ाने की शर्त के आधार पर एयरफोर्स में भर्ती करना शुरू किया था। ये स्कीम काफी सफल रही, जिसे बाद में कई देशों ने अपनाया। इस योजना का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा युवाओं को आर्म्ड फोर्सेज की ट्रेनिंग देना है ताकि इमरजेंसी पड़ने पर वे देश की सेवा कर सकें। दुनिया के 30 से ज्यादा देशों में टूर ऑफ ड्यूटी का रूल किसी न किसी रूप में लागू है। ये कुछ महीनों से लेकर कुछ सालों तक की हो सकती है। वहीं, कम से कम 10 देश ऐसे हैं जहां पुरुष और महिला दोनों को सेना में सेवा देना कम्पलसरी है। इन देशों में चीन, इजरायल, यूक्रेन, नार्वे, स्वीडन, मोरक्को, नार्थ कोरिया, केप वर्दे, जार्डन, इरित्रिया जैसे देश शामिल हैं। आइए अब हम आपको एक-एक कर उन देशों के बारे में बताते हैं जहां टूर ऑफ ड्यूटी स्कीम लागू है।
इजरायल
इजरायल में पुरुषों के लिए 3 साल और महिलाओं को लिए 2 साल मिलिट्री सर्विस जरूरी है। ये नियम देश-विदेश में रह रहे इजरायल के सभी नागरिकों पर लागू होता है।
ब्राजील
ब्राजील में 18 साल से आयु पूरी कर चुके युवाओं को 1 साल की सैन्य सेवा जरूरी है। अगर आप यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं तो सेवा टाली जा सकती है लेकिन इसे रद्द नहीं किया जा सकता।
रूस
रूस में 18 से 27 साल तक के युवाओं को 1 साल तक सैन्य सेवा जरूरी है। डॉक्टर्स, टीचर्स और जिनके 3 साल से कम आयु के बच्चें हों उन पुरुषों को सैन्य सेवा से छूट मिलती है।
बरमूडा
बरमूडा में सेना में भर्ती करने के लिए सरकार लॉटरी निकालती है। इसमें 18 से 32 साल के पुरुषों को 38 महीने बरमूडा रेजिमेंट में सेवा देनी पड़ती है।
दक्षिण कोरिया
दक्षिण कोरिया में सभी पुरुषों को सबसे ज्यादा वक्त तक कम्पलसरी सैन्य सेवा करनी होती है। पुरुषों को करीब 11 साल और महिलाओं को 7 साल तक सैन्य सेवा करनी होती है।
सीरिया
सीरिया में सभी पुरुषों के लिए 18 महीनों तक सेना में भर्ती होना अनिवार्य है। सैन्य सेवा ना करने पर नौकरी तक जा सकती है। सेना से भागने वाले को जेल भेजा सकता है।
स्विट्जरलैंड
स्विट्जरलैंड में मेडिकल फिट पुरुषों को वयस्क होते ही 21 हफ्ते की मिलिट्री सर्विस देना अनिवार्य है। महिलाएं अपनी इच्छा से सेना में शामिल हो सकती हैं।
सिंगापुर
सिंगापुर में 18 साल पूरे होते ही पुरुषों को आर्म्ड फोर्सेज में शामिल होना जरूरी है। नियम तोड़ने वालों पर 10 हजार डॉलर्स का जुर्माना या 3 साल की सजा या फिर दोनों लगाए जा सकते हैं।
चीन
चीन में तकनीकी तौर पर नागरिकों को मिलिट्री सर्विस करना अनिवार्य है, लेकिन देश में अनिवार्य सैन्य सेवा 1949 के बाद से ही लागू नहीं की गई है।
थाईलैंड
थाईलैंड में अनिवार्य सैन्य सेवा 1905 से लागू है। 21 साल पूरे कर चुके सभी पुरुषों को सेना में भर्ती होना जरूरी है।
तुर्की
तुर्की में 20 से 41 साल के आयु वाले पुरुषों को सेना में शामिल होना अनिवार्य है। हायर एजुकेशन में दाखिला लेने वाले शख्स कुछ दिन मिलिट्री ट्रेनिंग टाल सकते हैं।
नार्वे
नार्वे में 19 साल से लेकर 44 साल के नागरिकों को अनिवार्य रूप से सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करनी होती है।
भारत में अग्निपथ' योजना के तहत सैनिकों की भर्ती चार साल के लिए संविदा आधार पर की जाएगी। इस योजना के मुताबिक तीनों सेनाओं में इस साल करीब 46,000 सैनिक भर्ती किए जाएंगे। चयन के लिए पात्रता आयु साढ़े 17 साल से 21 साल रखी गई है। इस योजना के तहत भर्ती होने वाले सैनिक ‘अग्निवीर’ कहलाएंगे। पहले साल 30 हजार रुपए वेतन मिलेगा जो 4 साल के अंत तक 40 हजार हो जाएगा। 25 फीसदी सैनिकों को आगे सेवा में नियमित किया जाएगा। रिटायरमेंट के दौरान 11.70 लाख रुपए की एकमुश्त राशि मिलेगी जो पूरी तरह टैक्स फ्री होगी, रिटायरमेंट के बाद किसी तरह की पेंशन नहीं मिलेगी, साथ ही दूसरे सैन्य बलों में आरक्षण की व्यवस्था की गई है। सेना में भर्ती की चाह रखने वाले युवा केंद्र की इस योजना का लगातार विरोध कर रहे हैं। लेकिन केंद्र सरकार अपने कदम पीछे खींचने को बिल्कुल भी तैयार नहीं दिख रही। अब केंद्र सरकार का ये नया प्रयोग कितना सफल होगा ये तो आने वाला वक्त बताएगा।