रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद दुनिया में चिंता बढ़ गई है. अंतर्राष्ट्रीय स्तनर पर सबसे ज्यादा चिंता इस बात को लेकर है कि ये युद्ध दो देशों की लड़ाई से कहीं आगे न निकल जाए. साथ ही परमाणु युद्ध का खतरा बना है वो अलग.. इस तनाव के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सीक्रेट प्लेबुक की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है.. सबसे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने पुतिन की प्लेबुक का जिक्र किया था और कहा था कि यूक्रेन का तनाव इस प्लान की शुरुआत भर है. तो आज के know this वीडियो में हम आपको बताएँगे कि यूक्रेन पर पुतिन की Playbook का सीक्रेट क्या है? साथ ही बताएँगे कि इसकी हर तरफ क्यों चर्चा हो रही है? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
दरअसल पिछले साल अमेरिकी खुफिया एजेंसी की एजेंट रहीं रेबेका कॉफलर ने ‘Putin’s Playbook: Russia’s Secret Plan to Defeat America’ यानी अमेरिका को हराने के लिए रूस का सीक्रेट प्लान नाम की किताब लिखी थी. इस किताब में कॉफलर ने बताया था कि सोवियत संघ के पतन को व्लादिमीर पुतिन ने कैसे रूस के अपमान के तौर पर लिया था. उन्होंने ये भी लिखा कि पश्चिमी देशों के साथ युद्ध में पुतिन रूस को एक ग्रेट पावर के तौर पर स्थापित करना चाहते हैं. 1991 में जब सोवियत संघ का विघटन हुआ तो कई सारे देशों का जन्म हुआ. इन देशों में कई तरह के संघर्ष भी हुए. जैसे मोल्दोवा के ट्रांसनिस्ट्रिया, जॉर्जिया के अंदर साउथ ओसेशिया और अबकाजिया. इन संघर्षों में रूस बड़ी भूमिका में हमेशा खुद को देखता है. रूस ने कुछ ऐसा ही डोनबास में किया. डोनबास पूर्वी यूक्रेन का हिस्सा है. अब रूस ने इन इलाकों को अलग देश की मान्यता दे रखी है. इधर दुनिया में अमेरिकी वर्चस्व को खत्म करने के लिए पुतिन के जिस प्लेबुक की चर्चा हो रही है और जिसकी शुरुआत यूक्रेन में दिख रही है. 2008 में रूस उसका ट्रायल जॉर्जिया में कर चुका है जहां तेज हमले के साथ रूस ने विरोधी ताकतों को घुटने पर ला दिया था. 2008 में भी रूस ने जॉर्जिया पर नरसंहार का आरोप लगाया था.
प्लेबुक के मुताबिक रूस कई चरणों में हमला कर सकता है. ऐसा अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इसी प्लेबुक का जिक्र करते हुए कहा था.. उन्होंने बताया था कि रूस यूक्रेन पर नागरिकों के खिलाफ ड्रोन स्ट्राइक और बमबारी के आरोप लगा सकता है. रूस इसे 'नरसंहार' बता सकता है.. इसके साथ ही वो यूक्रेन में मौजूद अपने नागरिकों की सुरक्षा का हवाला देकर रूस जवाबी कार्रवाई की बात कर सकता है, यूक्रेन को नो फ्लाई जोन घोषित कर सकता है. वहां के बंदरगाहों को ब्लॉक कर सकता है या फिर पड़ोसी मुल्क बेलारूस में अपने परमाणु हथियार तैनात कर सकता है. ब्लिंकेन ने ये भी बताया कि तीसरा काम रूस ये करेगा कि रूस यूक्रेन पर साइबर हमला कर सकता है. इसी साल जनवरी में यूक्रेन सरकार की वेबसाइट ठप पड़ गई थी, फरवरी के MID में यूक्रेन के 2 सबसे बड़े बैंकों को भी निशाना बनाया गया था..
जिस तरह से यूक्रेन के हालात दिख रहे है ऐसे में सबके मन ये सवाल है कि आखिर पुतिन को यूक्रेन से दिक्कत क्या है वो यूक्रेन से इतना चिढ़ते क्यों हैं? तो हम आपको इसका जवाब बता दें कि रूस ने लंबे समय से यूक्रेन के यूरोपियन यूनियन, नेटो और अन्य यूरोपीय संस्थाओं के साथ क़रीबी का विरोध किया है. हालिया घटनाक्रमों के पीछ पुतिन का तर्क है कि यूक्रेन पूरी तरह से कभी एक देश था ही नहीं, उन्होंने यूक्रेन पर पश्चिमी देशों की कठपुतली बनने का भी आरोप लगाया है. पुतिन ये सुनिश्चित करना चाहते हैं कि यूक्रेन नेटो में शामिल नहीं हो पाए. इसके लिए वो यूक्रेन और दूसरे पश्चिमी देशों से गारंटी चाहते हैं. उनकी मांग है कि यूक्रेन अपना militarization बंद करे और किसी गुट का हिस्सा ना बने.