रूस यूक्रेन के बीच जारी विवाद के चलते लगभग सभी देश दो गुटों में बंट गए हैं. रूस और यूक्रेन के बीच जंग के हालात पैदा होने के बाद अमेरिकी नेतृत्व वाले नाटो देशों ने रूस की घेराबंदी की है. वहीं भारत के लिए ये तय करना बहुत मुश्किल होगा कि वह रूस के साथ खड़ा हो या यूक्रेन के साथ. आज नो दिस के इस वीडियो में हम आपको भारत के इन दोनों देशों के साथ रिश्तों के बारे में बताएंगे. जानने की कोशिश करेंगे कि इस विवाद के बीच भारत की क्या स्थिति है. आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की करीब 60 फीसदी military supplies रूस से होती है. पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चलते तनाव के बीच भारत, रूस को नाराज करने का जोखिम बिल्कुल ही नहीं ले सकता है. ये सभी जानते हैं कि रूस भारत का पुराना दोस्त है. वहीं दूसरी तरफ यूरोप और अमेरिका भी भारत के अहम साझेदार हैं. चीनी सीमा पर निगरानी रखने के लिए भारतीय सेना को अमेरिकी पट्रोल एयरक्राफ़्ट से मदद मिलती है.
वहीं यूक्रेन भी अपनी आजादी के बाद से भारत के लिए military technology और equipment का एक सोर्स रहा है. इसके अलावा यूक्रेन में लगभग 18,000 भारतीय छात्र मुख्य रूप से चिकित्सा क्षेत्र में अध्ययन कर रहे हैं. ऐसे में भारत ना तो रूस से दुश्मनी ले सकता है ना ही पश्चिम को छोड़ सकता है. भारत को हर हाल में बीच का रास्ता अपनाना होगा और इस बात की कोशिश करनी होगी कि युद्ध का खतरा किसी भी तरह से टल जाए.
यूक्रेन संकट के चलते अगर भारत और रूस के रिश्ते प्रभावित होते हैं तो पाकिस्तान के लिए यह सुनहरा मौका साबित होगा. खबर है कि पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने फोन कर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को पाकिस्तान आने का न्योता भी दिया है. पुतिन अगर ऐसा करते हैं तो यह उनका पहला पाकिस्तान दौरा होगा जो भारत के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं होगा. वहीं चीन इस जंग में रूस के साथ खड़ा होगा तो भारत को चीन पर भी पैनी नजर रखनी होगी. लिहाजा, रूस-यूक्रेन जंग भारत के लिए एक साथ कई मुश्किलें खड़ी करेगा.
विशेषज्ञों के मुताबिक रूस-यूक्रेन विवाद का असर भारत पर जल्द ही दिखने वाला है. इस विवाद की वजह से अंतरराष्ट्रीय मार्केट में क्रूड ऑयल सात साल में पहली बार 90 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया है, जिसका सीधा असर भारत के पेट्रोल पंपों पर बिकने वाले पेट्रोल-डीजल के दामों पर दिखाई देगा. ऐसे में भारतीय बजट पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है. रूस और अमेरिका के बीच सीधे युद्ध होने की स्थिति में भारत के हितों पर भी प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है.
जंग के मुहाने पर खड़े रूस और यूक्रेन ने भले ही सीजफायर पर सहमती दे दी हो, लेकिन इस बात की गारंटी कोई नहीं दे सकता कि आने वाले वक्त में युद्ध नहीं होगा. बता दें कोविड महामारी के दौर में सभी देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रखी है... ऐसे में हर देश की यह जिम्मेदारी बनती है कि रूस-यूक्रेन संकट को स्थायी समाधान के रास्ते पर खड़ा किया जाए. तीसरे विश्व युद्ध की आशंका को खत्म करने के लिए भारत समेत उन तमाम देशों को आगे आना चाहिए जो दुनिया में शांति को लेकर अपनी आवाज बुलंद करते रहे हैं.