रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध का आज 24वां दिन है. रूस की तरफ से हमले लगातार जारी हैं. यूक्रेन छोड़कर जाने वाले लोगों की संख्या 30 लाख के पार पहुंच गई है. जंग की कीमत सिर्फ यूक्रेन के लोगों को नहीं, बल्कि रूसी लोगों को भी चुकानी पड़ रही है. रूस में महंगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है. वहीं भारत पर भी इस संकट का आर्थिक और रणनीतिक असर पड़ेगा. आज नो दिस के इस वीडियो में हम आपको जंग के चलते बढ़ती मंहगाई और इससे होने वाले नुकसान के बारे में जानकारी देंगे. जानेंगे कि खुद रूस पर इसका कितना असर पड़ेगा और भारत को जंग के चलते महंगाई के कितने झटके लगेंगे. आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
यूक्रेन पर आक्रमण के बाद ही अमेरिका समेत यूरोपियन यूनियन के कई देशों ने रूस पर आर्थिक पाबंदी लगी दी है. इसके चलते रूसी करंसी रूबल की वैल्यू डॉलर की तुलना में 30% तक नीचे आ चुकी है. खबर है कि रूस में खाने के सामानों की कीमत में 45% तक बढ़ोतरी हो गई. वहां पिछले दो हफ्तों में दूध की कीमतों में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है. अंदाजा लगाया जा रहा है कि जंग नहीं रुकी और रूस पर इसी तरह से पाबंदियां लगी रहीं तो वह आने वाले समय में भुखमरी की कगार पर जा सकता है.
पाबंदी के बाद यूरोपीय देशों से इंपोर्ट नहीं होने की वजह से रूसी फैक्ट्री में कच्चे माल की कमी हो रही है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रूस में कई जरूरी दवाओं की भी कमी हो रही है. रूस को बाकी देशों के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है. चौतरफा बैन से रूस की इकोनॉमी बुरी तरह पस्त हो चुकी है.
आइए अब जानते हैं कि रूस यूक्रेन की जंग के चलते दुनियाभर में कितनी महंगाई बढ़ रही है. रूस और यूक्रेन गेहूं के मामले में दुनिया की 30% जरूरत पूरी करते हैं. यूरोप समेत पड़ोसी देशों में गेहूं की मांग बढ़ने से भारत अब तेजी से गेहूं एक्सपोर्ट करने लगा है. इससे काफी हद तक भारत के किसानों को फायदा होने की उम्मीद है. वहीं इसमें सबसे नुकसान अफ्रीकी देशों का हो रहा है, जो अपनी अनाज की जरूरतों के लिए ज्यादातर इन दोनों देशों पर निर्भर करते हैं. जंग की वजह से नाटो में शामिल यूरोप समेत कई देशों में सिर्फ गेहूं नहीं, बल्कि डेयरी प्रोडक्ट, इलेक्ट्रॉनिक सामान, ऑटोमोबाइल सामान आदि की भी किल्लत हो गई है.
बात करें भारत की तो पिछले कुछ हफ़्तों से भारत के पॉलिसी मेकर्स मौजूदा यूक्रेन-रूस संकट को लेकर उचित प्रतिक्रिया का आकलन कर रहे हैं. RBI और विदेश सेवा के अधिकारी मंथन करने में जुटे हैं कि वर्तमान संकट से निपटने के लिए कौन से कदम उठाए जाएं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ती तेल की कीमतों की वजह से भारत में भी आने वाले समय में पेट्रोल की कीमतें बढ़ना तय माना जा रहा है. ऐसे में विकास दर की रफ़्तार कायम रखने के लिए ठोस कदमों पर विचार किया जा रहा है. देखना होगा कि ये युद्ध कब खत्म होता है.