यूक्रेन और रूस के बीच का तनाव अब युद्ध तक पहुंच गया है. यूक्रेन को लेकर नाटो देशों और रूस के बीच जंग का खतरा मंडरा रहा है. नाटो देशों की रूस से दुश्मनी नई नहीं है बल्कि काफी पुरानी है. वहीं रूस के व्लादिमीर पुतिन पुतिन यूक्रेन के साथ जारी तनाव पर अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो देशों को परमाणु जंग की धमकी दे रहे हैं तो इसी खतरे को देखते हुए अमेरिका ने यूरोप में 100 परमाणु बम तैनात कर रखे हैं.. तो आज के know this video में हम आपको बताएंगे कि अगर नाटो और रूस में जंग हुई तो जीत किसकी होगी यानि कि नाटो और रूस में कौन पड़ेगा किस पर भारी? जानने के लिए वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
पहले अमेरिका और नाटो देशों का हाल जान लेते हैं. अगर रक्षा पर खर्च की बात करें तो अमेरिका ने नाटो के अन्यो सदस्यत देशों के कुल रक्षा खर्च का दोगुना खर्च किया है.) जहां साल 2021 में अमेरिका का रक्षा बजट 705 अरब डॉलर रहा. वहीं रक्षा के क्षेत्र में सबसे ज्यादा पैसा बहाने के साथ- साथ अमेरिका के पास महाविनाशक हथियार और एक विशाल सेना भी मौजूद है. साल 2017 में अमेरिका के पास 13 लाख सक्रिय सैनिक थे और 8 लाख 65 हजार सैनिक रिजर्व में थे. नाटो देशों में ब्रिटेन सबसे ज्याऔदा रक्षा खर्च करने में दूसरे नंबर पर है. इसके बाद जर्मनी, फ्रांस और इटली का नंबर आता है.
यहां ये जानना भी जरूरी है कि यूक्रेन और रूस के बीच तनातनी अगर जंग का रूप लेती है तो ये जंग दुनिया में बर्बादी और विनाश का सबसे डरावना रूप साबित होगी. अमेरिका हो या फिर रूस, महाविनाशक सैन्य साजो-सामान दोनों के ही बारूदखानों में एक से बढ़कर एक भरे हुए हैं. अमेरिका के बाद अगर बात रूस के रक्षा में खर्च और सैन्य ताकत की करें तो वो भी कुछ कम नहीं है. (gfx ) 2019 के एक आंकड़े के मुताबिक रक्षा बजट के मामल में पूरी दुनिया में रूस का स्थान चौथा है. 2019 में रूस का रक्षा बजट 65.1 बिलियन डालर से ऊपर रहा. रूस का रक्षा बजट इसकी जीडीपी का 3.9 फीसद हिस्सा है. वहीं वाशिंगटन स्थित हेरिटेज फाउंडेशन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के जखीरे में 336 अंतरमहाद्वीपीय मिसाइलें, 4,684 तोपें, 5,220 हथियार बंद वाहन और 2,840 टैंक भरे हुए हैं.. हालांकि अभी कुछ आधुनिक तकनीकों जैसे ड्रोन, रेडॉर, सैटलाइट से निगरानी के मामले में पीछे चल रहा है.(gfx end)
बात करें कि अगर नाटो-रूस में जंग हुई तो कौन विजेता होगा इसकी तो रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीरट्यूट ने साल 2019 में एक शोध प्रकाशित किया था जिसके मुताबिक अगर रूस के साथ जंग छिड़ती है तो ब्रिटिश सेना पूर्वी यूरोप में बड़े पैमाने पर पिछड़ जाएगी।। इस शोध में ये भी पाया गया कि ब्रिटेन की सेना और उसके अन्य नाटो सहयोगी देशों के पास तोप के गोले और विस्फो टकों की काफी कमी है.. तो इसका मतलब ये हुआ कि अगर रूस पूरी तरह से हमला करता है तो नाटो देश विश्व सनीय तरीके से रक्षा नहीं कर पाएंगे. हां ये बात अलग है कि रूस के खिलाफ ब्रिटेन को अकेले ही जंग नहीं लड़नी होगी..
हालांकि ये भी जग जाहिर है कि अपने दुश्मनों की तुलना में. रूस ड्रोन, रेडार, सैटेलाइट से निगरानी करने के मामले में अभी पिछड़ा हुआ ही माना जाता है. इसकी पुष्टि खुद रूसी पत्रकार पावेल फेलगेन्हौअर के बयान से होती है. जिसमें उन्होंने कहा है कि हमारे यानी रूस के पास हथियार तो हैं. जिनमें लंबी दूरी तक मार करने वाले खतरनाक हथियार भी शामिल हैं. मगर रूस का निगरानी तंत्र अभी हमला करने की ताकत की तुलना में बाकी से कमजोर है. चूंकि रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट की साल 2019 में सामने आई एक रिसर्च कहती है जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि रूस के साथ जंग में ब्रिटिश सेना पूर्वी यूरोप में बड़े पैमाने पर नुकसान में रहेगी. साथ ही नाटो संगठन देशों की सेनाओं के पास तोप गोले और विस्फोटकों की भारी कमी है. जो रूस की सैन्य क्षमता के सामने उन्हें कमजोर सिद्ध करने के लिए काफी है.