बांग्लादेश में हिंसा की शुरुआत 13 अक्टूबर को कोमिल्ला जिले से हुई. उस दिन सोशल मीडिया पर अफवाह उड़ी कि कोमिल्ला जिले के एक दुर्गा पंडाल में कुरान रखी गई है और उसका अपमान किया गया है. इसके बाद ही वहां तनाव बढ़ गया और जगह जगह पर दुर्गा पंडालों को निशाना बनाया गया. कई जगहों के दुर्गा पंडालों पर हुए हमले से हिंसा ने बड़ा रूप ले लिया. इसके अगले दिन यानि 14 अक्टूबर को इस्कॉन मंदिर में भक्तों पर भीड़ ने हमला कर दिया. इसके बाद से ही पूरे बांग्लादेश से हिंदुओं के मंदिरों और पंडालों पर हमले की कई घटनाएं सामने आ रही हैं.
दुर्गापूजा के समय से शुरू हुई हिंसा अब तक जारी है. पुलिस के साथ झड़प की घटनाओं के सिलसिले में अलग अलग ज़िलों में कई मामले दर्ज किये गये हैं. खबर है कि हिंसा और हाथापाई में अबतक लगभग 6 लोगों की मौत हो गई है और सैकड़ों घायल हुए हैं, 29 से ज्यादा हिंदुओं के घर जलाए जा चुके हैं, वहीं 66 में तोड़फोड़ हुई है. फेसबुक पोस्ट करने वाले हिंदू शख्स को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है. रंगपुर में हिंदुओं के घर जलाने वाले 45 आरोपियों की भी गिरफ्तारी हुई है. हिन्दुओं पर हुए हमलों के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन जारी है.
क्या है हिंसा की वजह ?
ढाका टाइम्स की कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ इन दंगों की वजह उनकी जमीन हड़पने की कोशिश है. हिंसा में ये पैटर्न देखा गया है कि बहुसंख्यक आबादी गरीब हिंदुओं के घर जला या तबाह कर देती है. घर ना होने पर ये हिंदू परिवार पलायन करने को मजबूर हो जाते हैं और तब हिंदुओं की जमीन पर ये लोग कब्जा कर लेते हैं. कुछ रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि अगले तीन दशक में बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी खत्म हो जाएगी.
सरकार का क्या रुख ?
प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपराधियों को उनके धर्म की परवाह किए बिना सजा देने का संकल्प लिया है. उन्होंने वादा किया है कि कोमिला में हुई हिंसा के अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. गृह मंत्री असदुज्जमां खान ने रविवार को कहा कि दुर्गा पूजा पंडालों पर हमले पहले से ही प्लान किए गए थे. हमले में शामिल अपराधियों को कड़ी सजा दी जाएगी. वहीं भारत ने हिंसा की खबरों को परेशान करने वाला बताया है.
UN और अमेरिका ने की निंदा
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा की संयुक्त राष्ट्र ने निंदा की है. संयुक्त राष्ट्र ने कहा, बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले उसके संविधान में निहित मूल्यों के खिलाफ हैं. शेख हसीना की सरकार को घटनाओं की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने की जरूरत है. इसके अलावा अमेरिका ने भी बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हमलों की हालिया रिपोर्टों की निंदा की है.
क्या कहता है इतिहास ?
बांग्लादेश में इससे पहले भी कई बार हिंदू मंदिरों पर हमले हो चुके हैं. वहां हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले का पुराना इतिहास है. 1947 में देश के बंटवारे और फिर 1971 में पाकिस्तान से बांग्लादेश के बंटवारे के वक्त भी वहां के हिंदुओं को सबसे ज्यादा मुश्किल झेलनी पड़ी थी. बड़ी संख्या में हिंदुओं का कत्लेआम किया गया था. कई हिंदुओं का जबरन धर्म परिवर्तन करवाया गया था. भारत में बाबरी मस्जिद विध्वंस से पहले ही 29 अक्टूबर 1990 को बांग्लादेश में मस्जिद गिराए जाने की अफवाह फैलाई गई थी, जिसके चलते वहां हिंसा भड़की और कई हिंदू मारे गए थे.