रूस धीरे धीरे अपने समाज में अभूतपूर्व परिवर्तन कर रहा है | राष्ट्रपति पुतिन के नेतृत्व में रूस की जनता लोकतांत्रिक व्यवस्था के बजाये फ़ौजी व्यवस्था में विश्वास करने लगी है | रूस में बदलाव यूरोप में समीकरण बदल रहा है | नतीजा ये है कि रूस की जनता इस बात में यकीन करने लगी हैं कि उनपर कभी भी हमला हो सकता है और रूस को युद्ध के लिए तैयार रहना चाहिए |
रूस ने 2014 में यूक्रेन पर हमला किया और पूर्वी सरहद पर डोनेस्क प्रान्त पर कब्ज़ा किया | यहाँ आज भी रूस समर्थित मिलिटेंट्स का कब्ज़ा है | इसके बाद रूस ने क्रेमिया प्रायद्वीप पर कब्ज़ा किया | आज रूस के डेढ़ लाख फ़ौजी यूक्रेन की सीमा पर तैनात हैं | इस तैनाती से पूरे यूरोप में तनाव है और बाकायदा दोनों देशों के परमाणु बम गिराने वाले विमान हवाई पेट्रोल कर रहे हैं |
लेकिन रूस में लोगों को विश्वास है कि उन पर पश्चिम से हमला हो सकता है और उनकों एक बड़ी लड़ाई के लिए तैयार रहना चाहिए | लेकिन सच इसके उलटा है | रूस ने यूरोप में शांति भंग की लेकिन रूसी इसके विपरीत सोच रहे हैं | ये सब इसलिए हो रहा है क्योंकि राष्ट्रपति पुतिन ने रूस के पाठ्यक्रम को बदला है | बच्चों को मैप पढ़ना सिखाया जा रहा है | क्विज में सवाल सैनिक इतिहास के पूछे जा रहे हैं और बच्चों को सेना के प्रति आदर रखने की सीख दी जा रही है | स्कूल और कॉलेजों में इस बात को बार बार कहा जा रहा है कि रूस मुश्किल परिस्थितियों से गुज़र रहा है और रूस के समाज को किसी भी चीज़ के लिए तैयार रहना चाहिए |
इस सन्दर्भ में, रूस ने 185 मिलियन डॉलर का आवंटन एक बड़ी योजना के लिए किया है | अगले 4 साल में रूस में देशभक्ति से जुडी शिक्षा दी जाएगी | इस प्लान के ज़रिये 6 लाख बच्चों को शामिल किया जाएगा और इसमें 8 साल की उम्र के बच्चे भी शामिल होंगे | यानी रूस बिना यूनिफार्म की यूथ आर्मी बना रहा है | वहीं रूस में टीवी चैनलों में देशभक्ती के ऊपर शोज दिखाए जा रहे हैं, जिसमें से एक का नाम मास्को क्रेमलिन पुतिन है | यानी पुतिन ने अपने नाम को देशभक्ति से जोड़ लिया है | पुतिन चाहते हैं कि रुस की राष्ट्रीय पहचान द्वितीय विश्व युद्ध की विजय पर बने | यानी विजेता रूस पर | एक ऐसा राष्ट्र जो शांति चाहता है लेकिन राष्ट्रीय सम्मान के लिए कभी भी हथियार उठा सकता है | जानकार कहते हैं पुतिन रूस के राष्ट्रीय चरित्र में बदलाव कर रहे हैं और वहां के समाज को सेना और राष्ट्र की प्राथमिकताओं से जोड़ रहे हैं | द्वितीय विश्व युद्ध में 27 मिलियन रूसी लोग मारे गए थे | लेकिन नाज़ी सेना स्टेलिनग्राद पर कब्ज़ा नहीं कर पायी थी | आज रूस और नैटो के बीच बहुत तनाव है और पुतिन इसी सन्दर्भ में रूसी समाज को दूसरे युद्ध के लिए तैयार कर रहे हैं | पिछले साल सेना को एक कैथेड्रल समर्पित किया गया था| ये कैथेड्रल फ़ौज के बलिदान की थीम पर बनाया गया है|
आज रूस में 39 प्रतिशत लोग विश्वास करते हैं कि यूक्रेन से रूस का युद्ध होना तय है | सर्वे के अनुसार रुसी लोगों का मानना है कि पश्चिमी राष्ट्र यूक्रेन के ज़रिये रूस पर कभी भी हमला कर सकते हैं | ये सब इसलिए है क्योंकि पुतिन देश के राष्ट्रीय चरित्र को धीरे धीरे बदल रहे हैं | यही कारण है कि रूस बच्चों की फ़ौज खड़ा कर रहा है | जानकार कहते हैं कि सोवियत यूनियन के टूटने से रूस को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा था | इसका असर रूसी अधिकारियों पर पड़ा था | रूस के अन्तर्राष्ट्रीय स्टेटस पर भी फ़र्क़ पड़ा था | रूस को कमज़ोर राष्ट्र माना जाने लगा था | पुतिन तब पूर्वी जर्मनी में रूस के खुफिया विभाग में काम करते थे | सोवियत यूनियन के गिरने के बाद उनको घर चलाने के लिए छोटे मोटे काम करने पड़े थे | पुतिन अब रूस को दुनिया की हाई टेबल पर ले जाना चाहते हैं | उनको लगता है रूस को सोवियत यूनियन के पूर्व प्रांतों से विदेशी ताक़तों को खदेड़ देना चाहिए | इसके लिए वो रूसी जनता को मानसिक रूप से तैयार कर रहे हैं और उसकी एक बड़ी कड़ी समाज का सैन्यीकरण है |