मध्य एशियाई देश कजाकिस्तान हिंसा से जूझ रहा है. कारण है एलपीजी की बढ़ी हुई कीमतें. जरा सोचिए जो देश तेल का production और export करता है वहां तेल को लेकर ही हायतौबा मची हुई है. इतना ही नहीं कजाकिस्तान में हाइड्रोकार्बन और धातुओं का खजाना है. फिलहाल वहां के हालात ऐसे हैं कि तेल की बढ़ती कीमतों के कारण भारी बवाल मचा हुआ है. कीमतें बढ़ाए जाने के बाद शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया है. इन हिंसक प्रदर्शनों में लगभग 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. तो आज के KNOW THIS VIDEO में हम आपको बताएंगे कि आखिर कजाकिस्तान में ये संकट क्यों आया? कजाकिस्तान में हो रही हिंसा का जिम्मेदार कौन है, साथ ही बताएंगे कि कजाकिस्तान में हो रही उथल-पुथल के भारत के लिए क्या मायने हैं बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिये हमारे साथ.
तेल की कीमतों में बढ़ोतरी का विरोध
कजाकिस्तान में अचानक अराजकता की स्थिति पैदा हो गई है, क्योंकि वहां गैस की कीमतें बढ़ाए जाने के बाद शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया है. हालात ये हैं कि एक समय वहां सरकार गिरने की स्थिति बन गई थी. पुलिस और लोगों के बीच की झड़प में दर्जनों की मौत हो गई हैं हालांकि राष्ट्रपति कासिम जोमार्त तोकायेव हालात को काबू करने की कोशिश में लगे हैं.
कजाकिस्तान रूस और चीन के बीच में है. ये मध्य एशिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, यहां 1991 में आजादी मिलने के बाद से अरबों डॉलर का विदेशी निवेश हुआ है. कजाकिस्तान यूरेनियम का प्रोडक्शन करने में दुनिया में पहले नंबर पर है. तेल का निर्यात करने वाला ये दुनिया का 9वां बड़ा देश है. वहीं 2021 में यहां 85.7 मिलियन टन तेल का उत्पादन हुआ है. साथ ही ये कोयले का उत्पादन करने वाला 10वां सबसे बड़ा उत्पादक देश है.
कजाकिस्तान में हो रही हिंसा का क्या कारण है?
कजाकिस्तान में हो रही हिंसा की शुरुआत तेल उत्पादन वाले शहर झाना जेन से हुई. यहां लोगों में काफी वक़्त से इस बात का गुस्सा था कि इलाके के अमीर लोग स्थानीय लोगों में ईंधन का लाभ समान रूप से बंटने नहीं दे रहे थे. सरकार ने 2019 में LPG को लेकर एक नीति बनाई थी. इसे जनवरी 2019 में लागू किया गया था. जनवरी 2022 को ये नीति खत्म हो गई. कजाकिस्तान में घरेलू उपयोग में इस्तेमाल होने वाली LPG ईंधन के तौर पर इस्तेमाल होता है. देश की 90 फीसदी गाड़ियों में LPG का ही इस्तेमाल होता है. वहीं पहले LPG की कीमतों का नियंत्रण सरकार के हाथ में था, लेकिन नीति खत्म होते ही नियंत्रण बाजार के हाथ में चला गया. इससे LPG की कीमतें तेजी से बढ़ते हुए दोगुनी हो गईं.
भारत पर क्या होगा असर?
कजाकिस्तान की अस्थिरता से उसका पड़ोसी और सहयोगी देश रूस ही नहीं बल्कि चीन भी चिंता में हैं, चीन कजाकिस्तान से तेल खरीदता है. इसके साथ कजाकिस्तान में हो रही उथल-पुथल भारत के लिए भी मायने रखती है क्योंकि भारत पिछले कुछ सालों से मध्य एशियाई देशों के साथ मजबूत संबंध बनाने की कोशिश कर रहा है. वहीं मध्य एशिया में हो रही अस्थिरता को भारत अपने लिए प्रतिकूल मानता है. लेकिन भारत इस बात की उम्मीद जरूर कर सकता है कि कजाकिस्तान के वर्तमान हालात चीन के लिए चिंता के सबब बन सकते हैं जो भारत के लिए फायदेमंद होगा..