चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग कॉमन प्रॉस्पेरिटी प्रोग्राम के जरिये देश में मौजूद economic inequality को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. जिससे चीन में लग्जरी ब्रांड्स बनाने और बिक्री करने वाली बड़ी कंपनियों पर खतरा मंडरा रहा है जिसके पीछे चीनी राष्ट्रपति के कॉमन प्रॉस्पेरिटी प्रोग्राम को जिम्मेदार बताया जा रहा है.
चीन के इस प्रोग्राम को अगर आसान भाषा में समझा जाए तो ये अमीर और गरीब के बीच की खाई को कम करने का प्लान है. जिसका उद्देश्य प्रॉपर्टी और पैसों को ज्यादा से ज्यादा लोगों के बीच बांटना है. चीन का ऐसा कहना है कि वो ज्यादा आय वाले लोगों और संस्थानों को प्रेरित कर रहा है कि वो समाज से कमा रहे हैं, तो उसे वापस भी लौटाएं. अगर लोग ऐसा करेंगे तो इससे समाज में अमीर-गरीब की खाई कम होगी और समाज के हर क्लास में आय/संपत्ति का बंटवारा होगा.
बता दें कि चीन के ये नीति पुरानी है, 1950 के दशक में माओत्से तुंग ने सबसे पहले कॉमन प्रॉस्पेरिटी के विचार पर काम करना शुरू किया था. उसके बाद 1980 के दशक में देंग शियाओपिंग ने इसे दोहराया.
चीन अपनी अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए बड़े बदलाव कर चुका है. इन् बदलावों का फायदा ये हुआ कि चीन की अर्थव्यवस्था ने रफ्तार तो पकड़ी, लेकिन इसके साथ ही अमीर-गरीब के बीच की खाई भी बढ़ती गई. अमीर गरीब के बीच के अंतर के कारण चीन का सामाजिक ढांचा गड़बड़ होने लगा और चीन को दोबारा इस नीति पर काम करना शुरू करना पड़ा.