रूस और यूक्रेन के बीच जंग का एक महीना बीत चुका है. न तो यूक्रेन हार मान रहा है, न ही रूस अपनी जीत का ऐलान कर रहा है. शुरू में माना जा रहा था कि रूसी सेना कुछ ही दिनों में युद्ध जीत लेगी, लेकिन इस जंग के एक महीना से ज्यादा होने के बावजूद फिलहाल रूस विजेता बनने की स्थिति में नहीं है. ऐसे में यूक्रेन के खिलाफ जैसै-जैसे जंग लंबी होती जा रही है, वैसे-वैसे रूसी सेना की क्षमता और रणनीति दोनों को लेकर सवाल उठने लगे हैं. तो आज के know this वीडियो में हम आपको वो कारण बताएंगे जिनके चलते यूक्रेन को 1 महीने बाद भी नहीं जीत पाया रूस. साथ ही बताएंगे कि वो क्या प्रमुख वजहें हैं जिनसे रूस के सामने डटा है यूक्रेन? बस आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
दरअसल रूस भले ही दुनिया के सुपरपावर देशों में शामिल है, लेकिन रक्षा पर खर्च के मामले में वो अमेरिका, चीन और भारत से भी पीछे है. रक्षा पर कम खर्च का मतलब है कि सेना के आधुनिकीकरण में कमी. रूस की सुपरपावर की इमेज को देखते हुए उसके लिए अपनी सेना पर खर्च और बढ़ाने की जरूरत है, जिससे वो यूक्रेन जैसे युद्ध के हालात में कमजोर न पड़े। एक कारण जो है वो ये कि इस जंग के शुरू होने के बाद से ही रूसी सेना के लिए एक सबसे बड़ा मुद्दा उसकी योजनाओं में कमी के रूप में सामने आया है.एक्सपर्ट्स का मानना है कि रूसी सेनाओं को जंग शुरू होने के बाद भी ये बताया ही नहीं गया था कि उन्हें जाना कहां है और इसीलिए पहला मौका मिलते ही वे सरेंडर कर रहे हैं.
रूसी हमले के बाद से ही यूक्रेन में सैनिकों के साथ ही आम लोग भी रूस का हरसंभव विरोध कर रहे हैं. हजारों की संख्या में यूक्रेन के नागरिकों ने लड़ाई के लिए हथियार तक उठा लिए हैं. यूक्रेन के प्रमुख शहरों में भले ही रूसी सेनाएं पहुंच चुकी हों लेकिन उन्हें भीषण प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है.
इसके साथ ही रूस के खिलाफ 20 से ज्यादा दिग्गज देश खुले तौर पर उतर चुके हैं. वैश्विक तौर पर रूस अकेला पड़ गया है. रूस का साथ चीन भी खुलकर नहीं दे पा रहा है. भारत अपने गुट निरपेक्ष रुख के लिए जाना जाता है. दूसरे शक्तिशाली देश यूक्रेन के साथ हैं. ऐसे में रूस वैश्विक तौर पर अलग-थलग पड़ चुका है. रूसी सैनिक भले ही भीषण बममारी कर रहे हों लेकिन यूक्रेनी सेना के मनोबल के आगे उनके भी हौसले पस्त हो रहे हैं. अमेरिका, NATO और यूरोपीय देश भले ही लड़ाई में सीधे यूक्रेन की मदद न कर रहे हों लेकिन हथियारों और आर्थिक सहायता से पर्दे के पीछे से यूक्रेन की मदद कर रहे हैं.
इधर कई जानकारों का मानना है कि अपने से 30 गुना छोटे देश को लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन का आकलन गलत साबित हुआ. जिस वजह से रूस अभी तक यूक्रेन को जीत नहीं पाया। क्योंकि पुतिन को इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनके सैनिकों को यूक्रेनी सेना से इतनी जबर्दस्त टक्कर मिलेगी।
पुतिन का मानना था कि उनकी सेना कुछ ही घंटों या दिनों में यूक्रेन पर कब्जा कर लेगी, लेकिन एक महीने बाद भी जल्द ऐसा होने के आसार नहीं हैं.
कुलमिलाकर आखिर में ये ही कहेंगे कि यूक्रेन ने साबित कर दिया कि जंग हथियारों से नहीं, हौसलों से लड़ी जाती है. दुनिया की बेहतरीन सेनाओं में शुमार रूसी सेना अब तक यूक्रेन जीत नहीं पाई है. रूस को भारी सैन्य क्षति पहुंची है. बड़ी संख्या में रूसी सैनिक मारे गए हैं.