रूस-यूक्रेन युद्ध को शुरू हुए लगभग 2 महीने पूरे होने वाले हैं. रूस लगातार यूक्रेन के शहरों पर हमला कर रहा है वहीं यूक्रेन भी नाटो देशों के सहयोग से अबतक जंग में डटा हुआ है और रूस को कड़ा मुकाबला दे रहा है. हाल ही में ब्रसेल्स में NATO देशों के रक्षा मंत्रियों ने यूक्रेन की मदद के लिए बैठक की है. खबर है कि बूचा नरसंहार के बाद यूक्रेन को रूस से लड़ने के लिए अपने हथियारों की सप्लाई तेज करेगा. आज नो दिस के इस वीडियो में हम समझने की कोशिश करेंगे कि क्या यूक्रेन को बचाने के लिए अमेरिका और नाटो देश जंग के मैदान में कूदेगा या नहीं. साथ ही जानेंगे कि अब तक नाटो युद्ध का हिस्सा क्यों नहीं बने हैं. आप वीडियो के आखिर तक बने रहिए हमारे साथ.
जंग की शुरूआत से ही पुतिन सभी पश्चिमी देशों को यूक्रेन की मदद करने से रोक रहे हैं. रूस की चेतावनी के बावजूद ये देश यूक्रेन को और हथियार दे रहे हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक अमेरिका 3 हालातों में जंग में शामिल हो सकता है.
माना जा रहा है कि अगर रूस इस युद्ध में केमिकल हथियारों का इस्तेमाल करता है तब अमेरिका सीधे इस युद्ध में शामिल हो सकता है. साथ ही अगर यूक्रेन NATO से मिली एंटी-शिप मिसाइल से रूस पर हमला करता है तो इससे रूस में काफी बर्बादी होगी. ऐसे में रूस यूक्रेन की मदद करने वाले देश पर हमला करेगा. तब अमेरिका को NATO देशों के बचाव में युद्ध में उतरना पड़ेगा.
बता दें पोलैंड भी काफी समय से यूक्रेन की मदद कर रहा है. ये पश्चिमी देशों और यूक्रेन के बीच काफी अहम कड़ी है. अगर रूस की स्ट्रैटजिक मिसाइलें NATO देशों जैसे कि स्लोवाकिया या पोलैंड से यूक्रेन की तरफ आ रहे सप्लाई काफिले पर हमला करती हैं तो ऐसी स्थिति में NATO की रक्षा के लिए अमेरिका समेत समूचे NATO देशों को सामने आना पड़ सकता है. अगर ऐसा होता है तो युद्ध और भयावह रूप ले सकता है.
आइए जानते हैं कि नाटो अब तक इस जंग का हिस्सा क्यों नहीं बना. दरअसल रूस कई बार ये चेतावनी दे चुका है कि अगर नाटो देश जंग में शामिल होते हैं तो वो यूक्रेन पर न्यूक्लियर हथियार का इस्तेमाल करेगा. इसी के चलते NATO देश रूस से आमने-सामने के मुकाबले में आने से डर रहे हैं. पश्चिमी नेताओं में डर है कि ये जंग बड़े यूरोपीय युद्ध में ना बदल जाए. इससे तीसरे वर्ल्ड वॉर की शुरुआत हो सकती है.
रूस जानता है कि पश्चिमी देशों में न्यूक्लियर वेपन के प्रति नफरत है और वो इसी नफरत को डर में बदलने की कोशिश में है. संभावना है कि ये लड़ाई काफी लंबी खिंच सकता है. तमाम देश इस जंग के खत्म होने की उम्मीद कर रहे हैं. देखना होगा कि डेढ़ महीने से जारी ये युद्ध कब खत्म होता है.