सालों की लंबी मेहनत के बाद दुनिया को 6 अक्टूबर २०२1 को मलेरिया की पहली वैक्सीन मिल गई. World Health Organisation ने इसके इस्तेमाल को मंजूरी भी दे दी है. आपको जानकार हैरानी होगी लेकिन दुनिया में मलेरिया से हर दो मिनट में एक बच्चे की मौत होती है. अब इस वैक्सीन के इस्तेमाल से हर साल लाखों जिंदगियां बचाई जा सकेंगी. इसे एक ऐतिहासिक पल बताया जा रहा है.
क्या है वैक्सीन की खास बातें ?
मलेरिया की इस वैक्सीन का नाम है Mosquirix जो 6 हफ्ते से 17 महीने की उम्र के बच्चों के लिए है. इस टीके की चार डोज दी जाएगी. पहली तीन डोज एक एक महीने के अंतराल पर दी जाएगी. तीसरा डोज लगने के 18 महीने बाद चौथा इंजेक्शन लगाने की सलाह दी गई है. Mosquirix को बिना प्रिस्क्रिपशन के नहीं दिया जाएगा. 0.5 मिली का ये इंजेक्शन जांघ की मांसपेशियों या कंधे के आसपास की मांसपेशी में लगाया जाएगा.
ये टीका लीवर में हेपेटाइटिस बी वायरस के संक्रमण से बचाने में भी मदद करता है. बताया जा रहा है कि इसकी सुरक्षा कुछ महीनों के बाद फीकी पड़ जाती है. हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि अफ्रीका में मलेरिया पर टीके का बड़ा असर हो सकता है. 2019 से घाना, केन्या और मलावी में शिशुओं को Mosquirix वैक्सीन की 2.3 मिलियन खुराक दी गई है. इस वैक्सीन को सबसे पहले ब्रिटिश दवा निर्माता कंपनी ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन GlaxoSmithKline ने 1987 में बनाया था.
कैसे काम करती है वैक्सीन ?
मलेरिया की बीमारी Plasmodium falciparum parasites की वजह से होती है. Mosquirix वैक्सीन इसी पैरेसाइट के सतह पर पाए जाने वाले प्रोटीन से बनी है. जब वैक्सीन बच्चे को दी जाएगी तो immune system पैरेसाइट से 'विदेशी' प्रोटीन को पहचानेगा और उनके खिलाफ एंटीबॉडी बना लेगा.
कितनी असरदार है वैक्सीन ?
बच्चों में मलेरिया के गंभीर मामलों को रोकने में टीके की efficacy लगभग 30% है. European Union के drugs regulator 2015 में इस मंजूरी देते हुए कहा था कि इसके फायदें जोखिमों से कहीं ज्यादा हैं. WHO ने जानकारी देते हुए बताया कि वैक्सीन के साइड इफेक्ट बहुत कम हैं जैसे बुखार.
यह पहली बार है जब डब्ल्यूएचओ ने इस्तेमाल के लिए एक टीके की सिफारिश की है. WHO ने कहा कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह एक बड़ी सफलता है. हम 100 सालों से ज्यादा समय से मलेरिया के टीके की तलाश कर रहे हैं, यह अफ्रीकी बच्चों की जान बचाएगा और बीमारी को रोकेगा.
कितना खतरनाक है मलेरिया?
मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो संक्रमित मादा Anopheles मच्छरों के काटने से लोगों में फैलती है. 5 साल से छोटे बच्चे मलेरिया से सबसे ज्यादा प्रभावित होत हैं.2019 में दुनिया भर में मलेरिया के लगभग 229 मिलियन मामले थे और उस साल मलेरिया से होने वाली मौतों का आंकड़ा 409,000 था. 2019 में मलेरिया से हुई मौतों में 67% इस उम्र के बच्चे थे. अकेले अफ्रीका में इस साल दो लाख 60 हज़ार बच्चों की मौत हुई थी. डब्ल्यूएचओ के मुताबिक भारत में 2019 में मलेरिया के 5.6 मिलियन मामले सामने आए. वहीं 2020 में ये आंकड़ा बढ़कर 20 मिलियन हो गया.
अफ्रीका में मलेरिया का कहर बाकी देशों के मुकाबले काफी ज्यादा है. वहां इसे कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक माना जाता है. डब्ल्यूएचओ के अनुमान के अनुसार, 2019 में बीमारी ने 386,000 अफ्रीकियों को मार डाला, जबकि पिछले 18 महीनों में कोविड से वहां 212,000 मौते हुई थी. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि मलेरिया के 94% मामले और मौतें अफ्रीका में होती हैं.